रजिया सुल्तान

रजिया सुल्तान

 

  • रजिया सुल्तान के नाम से कौन वाकिफ़ नही है । रजिया सुल्तान दिल्ली सल्तनत काल में महिला सशक्तिकरण का मजबूत प्रमाण है , भले ही यह सशक्तिकरण स्वयं इस महिला द्वारा ही अर्जित किया हुआ क्यों न हो ।
  • रजिया दिल्ली सल्तनत की पहली पहली महिला शासिका थी। रजिया का पूरा नाम जलालात उद-दिन रज़िया था।
  • रजिया का जन्म 1205 ईसवी में बदायूँ में हुआ था। इनकी माता कुतुब बेगम और पिता शमशुद्दीन इल्तुतमिश थे।
  • भारत के मुस्लिम इतिहास में वह पहली स्त्री थी जिसने दिल्ली के राज सिंहासन पर बैठ कर संपूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न राजतंत्र के सिद्धांत को अपनाया।
  • रजिया के पिता इल्तुतमिश ने रजिया को शासन करने का भी प्रशिक्षण दिया था और जब इल्तुतमिश ग्वालियर की ओर एक अभियान पर 1231-1232 ईसवी में निकले थे तो वे रजिया को सल्तनत की ज़िम्मेदारी सौंप गए थे और इस समय जिस सूझ बूझ से रजिया ने शासन की बागड़ोर संभाली, उससे अति प्रसन्न होकर इल्तुतमिश ने अपने जीवित रहते ही रजिया को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था।
  • इल्तुतमिश के सबसे बड़े बेटे और उत्तराधिकारी नसीरुद्दीन महमूद 1229 ईस्वी में एक लड़ाई में मारे गए थे और उन्हें अपने छोटे बेटों पर यक़ीन नहीं था।
  • इल्तुतमिश की इच्छा के ख़िलाफ़ कुछ प्रभावशाली लोगों ने रजिया के छोटे और नाक़ाबिल भाई रुकनुद्दीन फ़िरोज़ (अप्रैल 1236- अक्तूबर 1236) को तख़्त पर बैठा दिया था।
  • रुकनुद्दीन केवल नाममात्र का शासकथा और वास्तविक सत्ता उसकी मां शाह तुर्कान चला रही थीं। जनता में उसके प्रति आक्रोश पैदा हो रहा था, जिसके बढ़ने पर रकनुद्दीन और शाह तुर्कान की हत्या कर दी गई और दिल्ली सल्तनत की सत्ता पहली बार एक स्त्री के हाथ में आई, जब 6 नवंबर, 1236 को रज़िया सुल्तान सत्तासीन हुई।
  • रजिया ने अपने शासन के आरंभिक काल में ही बदायूं मुल्तान हांसी लाहौर जैसे क्षेत्रों के सूबेदारों और अमीरों के विद्रोह को दबाने के लिए उनमें आपसी फूट डलवाने की रणनीति अपनाई और जिसमें वह सफल रही।
  • रजिया ने ख्वाजा मुहाजबुद्दीन को अपना वजीर नियुक्त किया । मलिक सैफुद्दीन ऐबक बहुत को सेना का अध्यक्ष , इख़्तियारूद्दीन याक़ूत को अमीर ए आखूर, मलिक इज्जुद्दीन कबरी खां एयाज को लाहौर का सूबेदार और सेनाध्यक्ष की मृत्यु हो जाने पर मलिक कुतुबुद्दीन हसन गोरी को नायब ए लश्कर पद पर नियुक्त किया था।
  • रजिया के शासिका बनते ही उसे करमत और मुजाहिदों के विद्रोह का सामना करना पड़ा। लेकिन रजिया ने सेना की सहायता से इस विद्रोह को कुचल दिया। यह घटना 1237 ईसवी में घटित हुई थी।
  • रजिया के शासन के दौरान ही रणथंभौर के पतन की घटना देखी गई। ग्वालियर के दुर्ग रक्षकों की समस्या का समाधान भी रजिया ने अपने शासनकाल के दौरान किया।
  • उसने मंगोलों के खिलाफ सैफुद्दीन करलूग को मदद न देने की नीति भी बनाये रखी , इस मामले में रजिया ने अपने पिता इल्तुतमिश की नीति का अनुसरण किया।
  • रजिया सुल्तान के बारे में एक ख़ास बात यह भी है कि उसने अपने शासन के दौरान सिक्कों पर अपने लिए ” उमदत -उल- निर्स्वा ( स्त्रियों में उदाहरणीय) उपाधि का प्रयोग करवाया।
  • साल 1240 में बहराम शाह के साथ साज़िश रचने वाले ही कुछ लोगों ने रज़िया की हत्या कर दी और इस प्रकार 14 अक्टूबर 1240 के दिन रज़िया के जीवन का सूर्य अस्त हो गया।
  • सुप्रसिद्ध इतिहासकार मिन्हाज-उस-सिराज ने लिखा है, ‘रजिया एक महान शासक, कुशाग्र बुद्धि, न्यायप्रिय, हितकारी, विद्वानों की आश्रयदाता, प्रजा का कल्याण करने वाली एवं सामरिक गुणों को रखने वाली स्त्री शासक है।’
  • गद्दी पर बैठते ही रजिया ने पर्दा उतार फेका और पुरूषों जैसे वस्त्र एवं चोगा धारण कर लिए। वह बड़े प्रभावशाली ढंग से अपना दरबार चलाती थी।
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