22 Oct 2021 कुशीनगर
- हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे’ का उद्घाटन किया गया।
- पूर्वी उत्तर प्रदेश का यह हवाईअड्डा, कुछ समय पश्चात चुनाव होने वाले प्रदेश में तीसरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है और यह मुख्य रूप से ‘बौद्ध पर्यटन सर्किट’ के लिए अपनी सेवाएं पर्दान करेगा।
- इस हवाईअड्डे पर, सबसे पहले श्रीलंकाई एयरलाइंस का एक वायुयान उतरा, इस उड़ान से ‘भिक्षुओं और अन्य गणमान्य व्यक्ति ‘कुशीनगर’ पहुंचे थे।
कुशीनगर का ऐतिहासिक महत्व:
- कुशीनगर को सभी बौद्ध तीर्थ स्थलों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, इसी स्थान पर महात्मा बुद्ध ने 483 ई.पू. महापरिनिर्वाण (परम मोक्ष) प्राप्त किया था।
- वर्तमान कुशीनगर की पहचान प्राचीन मल्ल गणराज्य की राजधानी ‘कुशीनारा’ के रूप में की जाती है। ईसा पूर्व छठी-चौथी शताब्दी में ‘मल्ल गणराज्य’ तत्कालीन 16 महाजनपदों में से एक था।
- इस क्षेत्र पर मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त, हर्षवर्धन और पाल शासकों ने भी शासन किया।
- ‘अलेक्जेंडर कनिंघम’ और ‘ए सी एल कार्लली’ (ACL Carlleyle) द्वारा ‘कुशीनगर’ में पहली बार उत्खनन किया गया, जिसमे उन्होंने वर्ष 1876 में एक ‘मुख्य स्तूप’ औरबुद्ध की लेटीहुयी 6 मीटर लम्बी प्रतिमा का पता लगाया था।
- कुशीनगर, भारत के उन गिने-चुने स्थानों में से है जहां बुद्ध को लेटे हुए रूप में चित्रित किया गया है।
सरकार के इस कदम का महत्व:
- हालांकि बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई और आठ प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों में से सात तीर्थ स्थलो भारत में हैं, फिर भी हमारे देश में विश्व में कुल बौद्ध तीर्थयात्रियों का एक प्रतिशत भी नहीं आ पाता है।
- सरकार को इस बात की जानकारी है कि कम संख्या में पर्यटक आने का प्रमुख कारण बुनियादी ढांचे का अभाव है, और इसी वजह से पर्यटन के क्षेत्र में भारत, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से पीछे रह जाता है।
- यह उम्मीद की जाती है कि इस तरह की ‘विश्व स्तरीय सुविधाएं’, बौद्ध पर्यटकों को भारत आने के लिए आकर्षित करने में सफल होंगी, और इससे राजस्व तथा रोजगार सृजन में भी वृद्धि होगी।
- इसलिए, सरकार का यह नवीनतम कदम देश में महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थलों को प्रोत्साहन देने में सहायक होगा।
‘बौद्ध परिपथ’ के बारे में:
- केंद्र सरकार द्वारा ‘बौद्ध परिपथ’ / ‘बौद्ध सर्किट’ परियोजना की घोषणा वर्ष 2016 में की गयी थी।
- तब से लेकर अब तक विभिन्न योजनाओं के तहत, इस परियोजना के लिए 343 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की जा चुकी है।
- ‘बौद्ध परिपथ’, बुद्ध के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण स्थानों को आपस में जोड़ने वाला एक मार्ग है।
- मंत्रालय के मानचित्र में, बौद्ध सर्किट में, बिहार के बोधगया, वैशाली और राजगीर, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर, सारनाथ और श्रावस्ती और नेपाल के लुंबिनी को शामिल किया गया है।
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