चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा

 

  • हाल ही में, ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा’ (China-Pakistan Economic Corridor – CPEC) प्राधिकरण के प्रमुख ने कई-अरब डॉलर की ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा’ परियोजना को ‘पाकिस्तान की आर्थिक जीवन रेखा’ बताते हुए अमेरिका पर इसको नुकसान पहुचाने का आरोप लगाया है।

पृष्ठभूमि:

  • पाकिस्तान, चीन के द्वारा अन्य देशों में किए जा रहे विकास हेतु वित्तपोषण पाने वाला सातवां सबसे बड़ा देश है।
  • ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा’ के भाग के रूप में चीन द्वारा पाकिस्तान में 3 अरब डॉलर की 71 परियोजनाओं को वित्त-पोषित किया जा रहा है।

CPEC के बारे में:

  • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), कई-अरब डॉलर की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) की प्रमुख परियोजना के तहत, पाकिस्तान के ग्वादर से लेकर चीन के शिनजियांग प्रांत के काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लंबी एक वाणिज्यिक परियोजना हैl
  • यह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य चीन द्वारा वित्त पोषित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से दुनिया विश्व में बीजिंग के प्रभाव को बढ़ाना है।
  • इस लगभग 3,000 किलोमीटर लंबे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में राजमार्ग, रेलवे और पाइपलाइन का निर्माण किया जाना शामिल है।
  • इस प्रस्तावित परियोजना को भारी-सब्सिडी वाले ऋणों द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा। पाकिस्तान की सरकार के लिए यह ऋण चीनी बैंकिंग दिग्गजों, जैसे एक्जिम बैंक ऑफ चाइना, चीन डेवलपमेंट बैंक तथा चीन के औद्योगिक और वाणिज्यिक बैंक द्वारा प्रदान किया जाएगा।

भारत की चिंताएं:

  • यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के विवादित क्षेत्र बलूचिस्तान से होते हुए गुजरेगा।
  • यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर भारतीय संप्रुभता के लिए नुकसानदेय साबित होगी l
  • CPEC, ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से अपनी आपूर्ति लाइनों को सुरक्षित और छोटा करने के साथ-साथ हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने संबंधी चीनी योजना पर आधारित है।
  • अतः यह माना जाता है कि CPEC के परिणामस्वरूप हिंद महासागर में चीनी मौजूदगी भारत के प्रभाव पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी।
  • यातायात और ऊर्जा की मिली-जुली इस परियोजना के तहत समुद्र में बंदरगाह को विकसित किए जाएंगे, जिससे भारतीय हिंद महासागर तक चीन की पहुंच का रास्ता खुलेगाl
  • ग्वादर, बलूचिस्तान के अरब सागर तट पर स्थित हैl पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम का यह हिस्सा दशकों से अलगाववादी विद्रोह का शिकार हैl
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