04 Oct 2021 अगली पीढ़ी के खगोल विज्ञान उपग्रह विकसित करने की योजना: ISRO
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगली पीढ़ी का खगोल विज्ञान उपग्रह विकसित करने की योजना बना रहा है|
- इसरो ने 28 सितंबर, 2015 को खगोल विज्ञान एस्ट्रोसैट के उद्देश्य से अपना पहला मिशन लॉन्च किया था|
- इस मिशन की कार्य अवधि पांच साल है और यह अभी भी अपना कार्य कर रहा है|
भारत का पहला खगोल विज्ञान उपग्रह एस्ट्रोसैट
- एस्ट्रोसैट, खगोल विज्ञान के लिए भारत का यह पहला उपग्रह 28 सितंबर, 2015 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था|
- इसे इसरो के पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-C30 (PSLV-C30) द्वारा 06 विदेशी उपग्रहों पर लॉन्च किया गया था, सितंबर, 2020 में इसने पांच साल पूरे कर लिए हैं|
- नासा के गैलेक्स मिशन से तीन गुना अधिक संकल्प के साथ, एस्ट्रोसैट ने तारा समूहों की मैपिंग की है, आकाशगंगा की उपग्रह आकाशगंगाओं का पता लगाया है जिन्हें मैगेलैनिक बादल कहा जाता है|
- एस्ट्रोसैट के लॉन्च के साथ, भारत अंतरिक्ष वैधशालाओं जैसे अमेरिका, रूस, जापान और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी वाले देशों की लीग में शामिल हो गया है|
एस्ट्रोसैट के कार्य
- एस्ट्रोसैट एक बहु-तरंग दैर्ध्य अंतरिक्ष वैधशाला/ ऑब्जर्वेटरी है|
- इसे विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के ऑप्टिकल, पराबैंगनी, निम्न और उच्च-ऊर्जा एक्स-रे घटकों के माध्यम से दूर के सितारों जैसे कि खगोलीय पिंडों का निरीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है|
- एस्ट्रोसैट द्वारा प्रदान किए गए डाटा का व्यापक रूप से खगोल विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों जैसेकि, गैलेक्टिक से एक्स्ट्रा-गैलेक्टिक तक के अध्ययन के लिए उपयोग किया जाता है|
- एस्ट्रोसैट ने AUDFs01 के नाम से जानी जाने वाली सबसे दूर की तारा आकाशगंगाओं में से एक से अत्यधिक-UV प्रकाश का पता लगाया था|
- यह आकाशगंगा पृथ्वी से 3 अरब प्रकाश वर्ष दूर है|
- पुणे के इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) में डॉ. कनक साहा के नेतृत्व में भारत, अमेरिका, नीदरलैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और जापान के वैज्ञानिकों सहित खगोलविदों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने इसकी खोज की थी और ‘नेचर एस्ट्रोनॉमी’ में इस बारे में रिपोर्ट की थी|
- पहली बार, एस्ट्रोसैट ने ब्लैक होल सिस्टम से उच्च ऊर्जा एक्स-रे उत्सर्जन की तीव्र परिवर्तनशीलता का भी पता लगाया है|
एस्ट्रोसैट के पेलोड
- एस्ट्रोसैट को छह प्रमुख उपकरणों जैसे स्काई मॉनिटर, एक्स-रे,पराबैंगनी दूरबीनों और विशेष इमेजर सहित वैज्ञानिक पेलोड से लैस किया गया है|
- इन छह प्रमुख उपकरणों को संयुक्त रूप से इसरो, इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) द्वारा विकसित किया गया है|
कक्षा, एस्ट्रोसैट मिशन की कार्य अवधि
- इस एस्ट्रोसैट को 650 किमी की ऊंचाई पर लो-अर्थ इक्वेटोरियल ऑर्बिट में स्थापित किया गया है|
- एस्ट्रोसैट मिशन की कार्य अवधि पांच वर्षों के लिए निर्धारित की गई है|
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