आगे के 25 वर्षों में पंजाब का मरुस्थलीकरण

आगे के 25 वर्षों में पंजाब का मरुस्थलीकरण

  • जल स्तर में कमी का अध्ययन करने हेतु गठित पंजाब विधानसभा समिति ने हाल ही में कहा है, कि यदिभूमिगत जलभृतों (Underground Aquifers) से पानी खींचने की वर्तमान प्रवृत्ति जारी रही तो राज्य अगले 25 वर्षों में रेगिस्तान में बदल जाएगा।
  • इस प्रकार की एक भविष्यवाणी पहले भी की जा चुकी है। लगभग दो दशक पहले, पंजाब के जल स्तर में कमी पर एक अध्ययन (द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड रिपोर्ट, 1998) में लगभग 25 वर्षों की समय सीमा का अनुमान लगाते हुए कहा गया था कि पंजाब में सभी जलभृत लगभग 2025 तक समाप्त हो सकते हैं।

पंजाब में पानी की स्थिति कितनी चिंताजनक है?

  • पंजाब के 138 ब्लॉकों में से, 109 ब्लाक पहले ही ‘गहरे’ या अति-शोषित क्षेत्र में पहुँच चुके हैं, जिसका अर्थ है कि इन क्षेत्रों में भूजल की निकासी 100 प्रतिशत से अधिक है।
  • दो ब्लाक, ‘डार्क/क्रिटिकल’ जोन (भूजल निष्कर्षण 90 से 100 प्रतिशत) के अंतर्गत आते हैं, जबकि पांच ब्लाक, सेमी-क्रिटिकल (भूजल निकासी 70 से 90 प्रतिशत) क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
  • इसका अर्थ है कि राज्य के करीब 80 फीसदी ब्लॉक पहले ही सूख चुके हैं और चार फीसदी ब्लॉक सूखने की कगार पर हैं।
  • 3 से 10 मीटर की गहराई पर पानी की उपलब्धता, जिसे पानी निकालने के लिए एक सेंट्रीफ्यूगल पंप की आवश्यकता होती है, सर्वाधिक वांछनीय है। लेकिन वर्तमान में, पंजाब के लगभग 84 प्रतिशत भूभाग में पानी 20 से 30 मीटर, या 30 मीटर से भी अधिक नीचे मिल पाता है।

कमी के कारण:

  • जितना पानी जलभृतों में भरा जा रहा है, उससे कही ज्यादा पानी निकाला जा रहा है। पंजाब में जल निकासी की दरपुनःपूर्ति दर के मुकाबले 66 गुना अधिक है।
  • दोषपूर्ण फसल पद्धति को अपनाने के कारण जल निकासी की दर बढ़ती जा रही है। रोपाई के लिए खेतों को तैयार करने के लिए ‘पडलिंग विधि’ (Puddling Method) इस्तेमाल की जाती है, जिसकी वजह से पानी के पुनःपूर्ति में बाधा उत्पन्न होती है।

आवश्यकता:

  • किसानों को कम पानी की आवश्यकता वाले ‘फसल प्रतिरूप’ को चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, और हमारे यहाँ एकमात्र उपलब्ध गहरे जलभृतों को बचाने के लिए ‘ड्रिप सिंचाई’ या अन्य ‘जल प्रबंधन तंत्र’ को अपनाना चाहिए।
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