‘ई-वोटिंग’ ऐप

‘ई-वोटिंग’ ऐप

 

  • तेलंगाना सरकार ने हाल ही में कहा कि उसने कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए देश का पहला स्मार्टफोन आधारित ‘ई-वोटिंग’ ऐप विकसित किया है|
  • सरकार ने एक बयान में कहा कि इस ऐप को सफलतापूर्वक विकसित कर लिया गया है|
  • तेलंगाना सरकार देश में पहली बार स्मार्टफोन आधारित ‘ई-वोटिंग’ सिस्टम के ड्राई रन की तैयारी कर रही है|
  • राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि इस ऐप को सफलतापूर्वक विकसित कर लिया गया है और इसका परीक्षण करने के लिए खम्मम जिले में ‘डमी’ (नकली) चुनाव कराया जा रहा है|
  • इसके लिए इस ऐप पर 18 अक्टूबर तक पंजीकरण किया जाएगा और फिर 20 अक्टूबर को कृत्रिम मतदान होगा|
  • इस प्रक्रिया में जिले के सभी नागरिकों को भाग लेने की अनुमति रहेगी| इस पहल पर तेलंगाना राज्य निर्वाचन आयोग (टीएसईसी) द्वारा राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सीडीएसी) के साथ मिलकर क्रियान्वयन किया जा रहा है|

ई-वोटिंग पहल का मकसद

  • ई-वोटिंग पहल का उद्देश्य मतदाताओं के उन वर्ग के लिए मतदान की सुविधा उपलब्ध कराना है|
  • इनमें दिव्यांग लोग, वरिष्ठ नागरिक, अधिसूचित आवश्यक सेवाओं में कार्यरत नागरिक, बीमार लोग, मतदान कर्मी और आईटी पेशेवर समेत अन्य शामिल हैं|

विशेषज्ञ समिति द्वारा भी निर्देशित

  • बयान में कहा गया है कि तकनीकी विकास को एक विशेषज्ञ समिति द्वारा भी निर्देशित किया गया है|
  • इसमें आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रो रजत मूना और भारत के चुनाव आयोग के तकनीकी सलाहकार और आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर शामिल हैं|

ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी

  • ब्लॉकचैन (डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर) तकनीक का उपयोग डी-आइडेंटिफाइड और एन्क्रिप्टेड वोटों को सुरक्षित करने के लिए भी किया जा रहा है ताकि उन्हें अपरिवर्तनीय रिकॉर्ड के रूप में बनाए रखा जा सके|
  • स्मार्टफोन एप्लिकेशन एक न्यूनतम डिजाइन दृष्टिकोण का पालन करता है और अंग्रेजी और तेलुगु दोनों का समर्थन करता है|
  • इसमें ट्यूटोरियल वीडियो और हेल्पलाइन नंबर के साथ नागरिकों की सहायता के लिए एक विस्तृत हेल्प सेक्शन भी है|

यह एप कैसे काम करेगा?

  • बयान के अनुसार, ड्राई रन ‘टीएसईसी ई-वोट’ एंड्रॉइड एप्लिकेशन का इस्तेमाल करके किया जाएगा| इसमें हेरफेर रोकने के ‘कड़े सुरक्षा’ उपाय किए गए हैं|
  • एप पंजीकरण के दौरान किसी भी व्यक्ति की डिवाइस की आईडी और फोन नंबर को इस तरह दर्ज करती है जिससे सुरक्षा के लिहाज से यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदान के लिए उसी डिवाइस का इस्तेमाल किया जा रहा है|
  • एक वेब पोर्टल का उपयोग करके व्यवस्थापक द्वारा पूरी प्रक्रिया की निगरानी एवं नियंत्रण किया जा सकता है|
  • इसमें भौतिक सुरक्षा टोकन आधारित डिक्रिप्शन की आवश्यकता के साथ परिणामों के जनरेशन को और संरक्षित किया जाता है|
  • ऐप पर एकत्र किए गए डेटा को अतिरिक्त सुरक्षा के साथ राज्य डेटा केंद्रों (एसडीसी) में भी स्टोर किया जाएगा|
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