चैफ प्रौद्योगिकी

चैफ प्रौद्योगिकी

 

  • डीआरडीओ द्वारा भारतीय वायु सेना/ नौसैनिक पोतों के लिये उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी का विकास किया गया है।

चैफ प्रौद्योगिकीः

  • नौसैनिक पोतों- वायुयानो को रेडियो आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) आधारित दुश्मनों के रडार से बचाने के लिये चैफ प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाता है।
  • नौसैनिक पोतों पर रेडियो फ्रिक्वेंसिंग आधारित रडार से अटैक किया जाता है।
  • चैफ टेक्नोलॉजी रेडियो फ्रीक्वेंसी में बाधा उत्पन्न कर नौसैनिक पोत की रक्षा करती है।
  • एल्युमीनियम/प्लास्टिक या मेटलाइज्ड ग्लास फाइबर से चैफ को बनाया जाता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदुः

  • डीआरडीओ की रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर और पुणे स्थित उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल) ने मिलकर इस प्रौद्योगिकी का विकास किया है।
  • काउण्टर मेजर डिसपेंसिंग सिस्टम (CMDS) का उपयोग कर नौसैनिक पोतों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाता है।
  • यह तकनीक इंफ्रारेड और रडार खतरों के खिलाफ पैसिव जैमिंग प्रदान करती है।
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