नागा खीरा

नागा खीरा

 

  • नागालैंड के “मीठा खीरे (sweet cucumber)” को भौगोलिक पहचान (जीआई) टैग से कृषि उत्पाद के रूप में माल के भौगोलिक संकेत  (Geographical Indications of Goods) (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 के प्रावधानों के तहत सम्मानित किया गया था।
  • खीरा पूर्वोत्तर क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है।
  • नागालैंड में इस फल की पांचवीं सबसे ज्यादा खेती होती है और उत्पादन में तीसरे स्थान पर है।

नागा खीरे के बारे में:

  •  नागा खीरा अपनी मिठास और अनोखे हरे रंग के लिए जानी जाती है। 
  •  यह पोटेशियम से भरपूर होता है और इसमें कम कैलोरी होती है।
  •  खीरा इस छोटे से राज्य का पहला उत्पाद नहीं है जिसे जीआई टैग मिला है।
  • पेड़ टमाटर (टैमारिल्लो) और प्रसिद्ध नागा राजा मिर्च के दोनों क्षेत्रीय रूपों को भी जीआई टैग किया गया है।

 

 भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) प्रमाणन:

 परिचय:

  • भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।  
  • इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है।
  • इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।  
  • इसका उपयोग कृषि, प्राकृतिक और निर्मित वस्तुओं हेतु किया जाता है।
  • माल के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999  भारत में माल से संबंधित भौगोलिक संकेतों के पंजीकरण और उन्हें बेहतर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
  • यह विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकारों (TRIPS) के तहत व्यापार-संबंधित पहलुओं का भी एक हिस्सा है।

प्रशासित:

  • पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक जो कि भौगोलिक संकेतकों का रजिस्ट्रार (Registrar) है।
  • भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री/लेखागार चेन्नई में स्थित है।

पंजीकरण की वैधता:

  • भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिये वैध होता है।
  • इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।
  • जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन (Paris Convention for the Protection of Industrial Property) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर)के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है।
  • वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।
  • वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है।
  • महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर की ब्लू पॉटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू तथा मध्य प्रदेश के झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है।  
  • जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी अलग पहचान का सबूत है। कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना भी जीआई पहचान वाले उत्पाद हैं
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