” फ्लॉवर स्कॉर्पियन फिश”

” फ्लॉवर स्कॉर्पियन फिश”

 

  • हाल ही में एक यूनीक मछली प्रजाति ” फ्लॉवर स्कॉर्पियन फिश” जो अभी तक केवल प्रशांत महासागर क्षेत्र में ही पाई जाती है , अब हाल ही में भारत के पश्चिम बंगाल के दीघा तट और ओडिशा के पारादीप में पाई गई है ।
  • इससे इस बात की संभावना बढ़ गई है कि यह मछली हिन्द महासागर क्षेत्र में भी है । इससे बंगाल की खाड़ी की समृद्ध जैव विविधता का भी पता चलता है।
  • फ्लॉवर स्कोर्पियनफिश का वैज्ञानिक नाम होपलोसेबस्ट्स अरमाटस ( Hoplosebastes Armatus) है और यह रे फिन्ड फिश के ऑर्डर से संबंधित है जिसे स्कोर्पेनीफॉर्मे( Scorpaeniforme) के नाम से भी जाना जाता है। 
  • होपलोसेबस्ट्स अरमाटस को पहली बार साल 1929 में जापान के प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में खोजा गया था। अभी तक इसे हिन्द महासागर में नही पाया गया था।
  • अब भारतीय वैज्ञानिकों ने 13 अक्टूबर को ओडिशा के जगतसिंहपुर में पारादीप क्षेत्र के जल में फ्लॉवर स्कोर्पियनफिश के 22 स्पेसिमेन इकट्ठे किये हैं।
  • जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने इस खोज को अंजाम दिया है। वैज्ञानिकों ने अब यह निष्कर्ष दिया है कि इस मछली का भौगोलिक विस्तार उत्तर पश्चिम प्रशांत से हिन्द महासागर तक है।
  • फ्लॉवर स्कोर्पियनफिश की लंबाई 75 से 127 mm के बीच है जबकि इसके शरीर की चौड़ाई 14 से 22 मिलीमीटर है। इसका सिर इसके शरीर से भी बड़ा है। यह जापान के पूर्वी चीन सागर से जुड़े जल क्षेत्र में अधिक संख्या में पाई जाती रही है।
  • सभी स्कोर्पियन फिश कार्निवोर होती हैं और छोटी मछलियों और श्रीम्फ़ को खाती हैं।
  • रॉकफिश , स्टोनफिश , लायनफिश टर्की फिश , फायर फिश आदि स्कोर्पियनफिश के ही उदाहरण हैं ।
  • फ्लॉवर स्कोर्पियन फिश से भिन्न साधारण स्कोर्पियनफिश पश्चिमी अटलांटिक महासागर , फ्लोरिडा , बरमूडा , गल्फ ऑफ मेक्सिको , कैरेबियन सी में भी पाए जाते हैं।
No Comments

Post A Comment