कन्याकुमारी लौंग को मिला GI Tag

कन्याकुमारी लौंग को मिला GI Tag

 

  • दक्षिण भारत के बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण की दिशा में हाल ही में एक नई उपलब्धि जुड़ गई है ।
  • कन्याकुमारी लौंग को भौगोलिक संकेतक ( GI Tag) का दर्जा हाल ही में दे दिया गया है।
  • इस लौंग में वोलेटाइल ऑयल कंटेंट की मात्रा काफी अधिक होती है और इसकी विशेष सुगंध के चलते इसे यह दर्जा दिया गया है।
  • भारत में कुल उत्पादित लौंग में कन्याकुमारी लौंग का हिस्सा लगभग 65 प्रतिशत है।
  • इसकी खेती कन्याकुमारी जिले के पश्चिमी घाटों में समुद्र तल से 400 से 900 मीटर की ऊंचाई पर की जाती है।
  • यह वीरपुली रिजर्व फॉरेस्ट के ऊपर मरमलाई, करुमपराई और वेल्लिमलाई क्षेत्रों में 1,878 एकड़ (सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार) क्षेत्र में उगाया जाता है।यह कन्याकुमारी के महेन्द्रगिरि में भी उगाया जाता है।
  • कन्याकुमारी लौंग को अंग्रेजों द्वारा लगभग 1800 ईस्वी में तेनकासी जिले के कुट्रालम में उगाने के लिए लाया गया था, जहां से इसे आरक्षित वनों और कन्याकुमारी के आसपास के क्षेत्रों में लाया गया था।
  • भारत में लौंग आयात 20,000 टन है जबकि भारत का लौंग उत्पादन लगभग 1100 टन है। वहीं कन्याकुमारी जिले का हिस्सा 65% है।
  • इंडियन स्पाइस बोर्ड के अनुसार , वाणिज्यिक लौंग एक सदाबहार मध्यम आकार के वृक्ष से प्राप्त वायुशुष्कित अनखिली कली है ।
  • यह वृक्ष 10-12 मीटर ऊँचाई तक बढता है और लगभग सातवीं साल में इसमें फूल आने लगते है ।
  • इसमें 80 या उससे अधिक वर्षों तक कलियाँ आती रहती हैं । यह पूर्वी देशों का एक मूल्यवान मसाला है । कलियों पर जब एक स्पष्ट गुलाबी चमक दिखाई पडती है, तब हाथों से लौंग तोड लिए जाते हैं और कई दिनों तक धूप में सुखाए जाते हैं। अनखिली कलियों, पत्तों व ठंडलों से वाष्पशील तेल पाए जाते हैं।

लौंग का वानस्पतिक नाम

  • सिज़िजियम ऐरौमैटिकम है और यह मिरटेसी परिवार का है।
  • इसके जिस वाणिज्यिक अंग का इस्तेमाल होता है , वह है बन्द कली।
  • इसका व्युत्पत्ति स्थान इन्डोनेशिया का नॉर्थ मलक्का द्वीप है । ज़ंज़िबार, मेडागास्कर , मलेशिया, श्रीलंका और भारत में भी यह उगाया जाता है ।
  • इसका पौधा अच्छी जलनिकास वाली, सालभर पर्याप्त नमी वाली मृदा पसंद करता है।
  • उच्च तापमान (25-30 डिग्री सेन्टिग्रेड) सहित कड़ी धूप, अच्छी और सुवितरित वर्षा (150 से.मी. से अधिक) और उच्च आर्द्रता (70% से अधिक) इसकी कृषि के लिए अनुकूल है ।
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