‘निहंग’

‘निहंग’

 

  • पिछले साल, ‘निहंगों’ (Nihangs) के एक समूह ने पटियाला में तलवार से एक पुलिसकर्मी का हाथ काट दिया था। इस पुलिसकर्मी ने ‘निहंगों’ से कोविड लॉकडाउन के दौरान ‘मूवमेंट पास’ दिखाने को कहा था।
  • इस साल, ‘निहंगों’ ने एक पवित्र ग्रन्थ का कथित तौर पर अपमान करने पर नई दिल्ली में सिंघू सीमा के पास एक व्यक्ति की हत्या कर दी।

निहंगके बारे में:

  • निहंग, सिख योद्धाओं की एक ‘कोटि’ (Order) होती है। ये विशेष रूप से नीले वस्त्र, तलवार और भाले जैसे प्राचीन हथियार, और स्टील के निशानों से सजी हुई पगड़ी धारण करते है।

निहंग’ शब्द का अर्थ:

  • व्युत्पत्ति के अनुसार फ़ारसी में ‘निहंग’ शब्द का अर्थ एक ग्राह या घड़ियाल (Alligator), तलवार और कलम होता है, लेकिन ‘निहंगों’ की विशेषताएं संस्कृत शब्द ‘निहशंक’ के समान अधिक प्रतीत होती हैं, जिसका अर्थ है, भय-रहित, निष्कलंक, ब्रह्मचारी या शुद्ध, निश्चिंत और सांसारिक लाभ और आराम के प्रति उदासीन।

उत्पत्ति:

  • ‘निहंगों’ की उत्पत्ति का स्रोत ‘गुरु गोबिंद सिंह’ के छोटे पुत्र, ‘फतेह सिंह’ (1699-1705) से संबंधित पाया जाता है। ‘फतेह सिंह’ एक बार अपने पिता के सामने एक नीला चोला और दुमाला / कलंगी लगी हुई नीली पगड़ी पहने हुए पेश हुए थे।
  • अपने पुत्र का इतना प्रतापी स्वरूप देखकर गुरु ने कहा, कि यही खालसा के निश्चिंत और बेफिक्रे सैनिकों, ‘निहंगों’ की पोशाक रहेगी।

निहंगएवं अन्य सिखों और अन्य सिख योद्धाओं में भिन्नता:

  • ‘निहंग’, खालसा आचार संहिता (Khalsa code of conduct) का सख्ती से पालन करते हैं। ये किसी सांसारिक स्वामी के प्रति निष्ठा नहीं रखते हैं। ‘निहंग’, अपने पुण्यस्थानों के ऊपर भगवा के बजाय, एक नीला ‘निशान साहिब’ (ध्वज) फहराते हैं।

सिख इतिहास में इनकी भूमिका:

  • पहले सिख शासन (1710-15) के पतन के बाद जब मुगल सूबेदार सिखों की हत्या कर रहे थे, और अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह दुर्रानी (1748-65) के हमले के दौरान, सिख पंथ की रक्षा करने में निहंगों की प्रमुख भूमिका थी।
  • निहंगों का अमृतसर में ‘अकाल बूंगा’ (जिसे अब अकाल तख्त के नाम से जाना जाता है) पर सिखों के धार्मिक मामलों पर नियंत्रण भी रहा। ये स्वयं को किसी भी सिक्ख मुखिया के अधीन नहीं मानते थे और, ये अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखते थे।
  • वर्ष 1849 में सिख साम्राज्य के पतन के बाद पंजाब के ब्रिटिश अधिकारियों ने 1859 में स्वर्ण मंदिर के प्रशासन हेती एक प्रबंधक (सरबरा) नियुक्त किया गया था, इसके बाद से ‘निहंगों´का प्रभाव समाप्त हो गया।
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