भारतीय अंतरिक्ष संघ

भारतीय अंतरिक्ष संघ

 

  • हाल ही में, प्रधान मंत्री मोदी द्वारा ‘इंडियन स्पेस एसोसिएशन’ / ‘भारतीय अंतरिक्ष संघ’ (Indian Space Association – ISpA) का औपचारिक रूप से शुभारंभ किया गया।
  • ‘इंडियन स्पेस एसोसिएशन’, अंतरिक्ष और उपग्रह कंपनियों के प्रमुख औद्योगिक संघ के रूप में कार्य करेगा।

अभिप्राय और उद्देश्य:

  • ‘इंडियन स्पेस एसोसिएशन’ (ISpA) का उद्देश्य, भारतीय निजी क्षेत्र में ‘अंतरिक्ष उद्योग’ के लिए मंच प्रदान करना और अंतरिक्ष उद्योग क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने तथा वैश्विक सेवा प्रदाता बनाने के लिए भारत सरकार और अंतरिक्ष उद्योग के अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ भागीदारी करना है।
  • आईएसपीए (ISpA) का लक्ष्य, भारत को आत्मनिर्भर बनाने और मानव जाति हेतु विकास की अगली सीमा के रूप में तेजी से उभर रहे ‘अंतरिक्ष क्षेत्र’ में देश को एक वैश्विक नेता बनाने की भारत सरकार की परिकल्पना में योगदान करना है।

संरचना / सदस्य:

  • इंडियन स्पेस एसोसिएशन’ (ISpA) का प्रतिनिधित्व अंतरिक्ष और उपग्रह टेक्नोलॉजी में उन्नत क्षमताएं रखने वाली प्रमुख देशी कंपनियों के साथ-साथ वैश्विक कंपनियों द्वारा किया जाएगा।
  • आईएसपीए के संस्थापक सदस्यों में लार्सन एंड टुब्रो, नेल्को (टाटा ग्रुप), वनवेब, भारती एयरटेल, मैपमायइंडिया, वालचंदनगर इंडस्ट्रीज और अनंत टेक्नोलॉजी लिमिटेड शामिल हैं।
  • इसके अन्य प्रमुख सदस्यों में गोदरेज, ह्यूजेस इंडिया, अजि‍स्ता-बीएसटी एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, बीईएल, सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स, मैक्सार इंडिया शामिल हैं।

कार्य:

  • इंडियन स्पेस एसोसिएशन’ (ISpA) का कार्य सरकार की परिकल्पना को पूरा करने में एक सक्षम नीतिगत ढांचे के निर्माण हेतु संपूर्ण पारितंत्र के हितधारकों को शामिल करना होगा।
  • आईएसपीए, देश में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी और निवेश लाने तथा अधिक उच्च कौशल वाली नौकरियों के सृजन हेतु भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के लिए वैश्विक संपर्क बनाने की दिशा में भी काम करेगा।
  • ISpAसरकार की अंतरिक्ष परिकल्पना को आगे बढ़ाने के लिए IN-SPACeके साथ निकट समन्वय में काम करने की भी योजना बना रहा है।

महत्व:

  • विशाल प्रतिभा समूह, घरेलू प्रौद्योगिकी स्टार्टअप्स और निजी उद्यमों के वृद्धिमान कौशल के साथ, हमारा देश अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है।
  • भारत में वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग के लिए एक प्रौद्योगिकी नेता और मितव्ययी सेवा प्रदाता बनने की क्षमता है।
  • वैश्विक स्तर पर, निजी उद्यम भी अंतरिक्ष में संभावनाओं का विस्तार करने में तेजी से योगदान दे रहे हैं।

अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार:

  • आजादी के बाद से 75 वर्षों तक, भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत सरकार और सरकारी संस्थानों की एकल छतरी का प्रभुत्व रहा है।
  • इन दशकों में, भारतीय वैज्ञानिकों ने बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन समय की मांग है कि भारतीय प्रतिभाओं पर कोई पाबंदी न रहे, चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र में हो या निजी क्षेत्र में।
  • इसके अलावा, इसरो के अनुसार, वर्तमान में ‘वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था’ लगभग 360 बिलियन अमरीकी डॉलर की हो चुकी है। हालांकि, इसमें भारत की भागीदारी मात्र 2% है और वर्ष 2030 तक वैश्विक बाजार में केवल 9% हिस्सेदारी होने की संभावना है।

अंतरिक्ष आधारित संचार नेटवर्क में वृद्धि:

  • कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने खुदरा स्तर पर इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए अगली सीमा के रूप में संचार उपग्रहों पर दांव लगाया है।
  • इसमें स्पेसएक्स का स्टारलिंक, सुनील भारती मित्तल का वनवेब, अमेज़ॅन का प्रोजेक्ट कुइपर, यूएस सैटेलाइट निर्माता ह्यूजेस कम्युनिकेशंस आदि शामिल हैं।

 सैटेलाइट इंटरनेट के लाभ:

  • उद्योग के विशेषज्ञों का सुझाव है, कि दूरदराज के क्षेत्रों और कम आबादी वाले स्थानों में, जहां स्थलीय नेटवर्क अभी तक नहीं पहुंच सका है, वहां ब्रॉडबैंड सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए ‘उपग्रह आधारित इंटरनेट’ (Satellite Internet) अत्याधिक महत्वपूर्ण होगा।
  • हालांकि अभी तक, उपग्रह आधारित संचार केवल कॉरपोरेट्स और कुछ संस्थानों तक ही सीमित है। इनके द्वारा आपातकालीन स्थिति में, तथा महत्वपूर्ण अंतर-महाद्वीपीय संचार और बिना कनेक्टिविटी वाले दूरदराज के क्षेत्रों से जुड़ने के लिए ‘उपग्रह आधारित इंटरनेट’ का उपयोग किया जाता है।

चिंताएं और चुनौतियां:

  • कई सारे संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजे जाने से अंतरिक्षीय कक्षा में भीड़भाड़ होने पर चिंताएं व्यक्त की जा हैं। इससे अंतरिक्ष मलबे में भी वृद्धि हो सकती है।
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