भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र

भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र

  • हाल ही मेंनीति आयोग ने भारत का एक व्यापक भौगोलिक सुचना प्रणाली (GIS)आधारित भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र लॉन्च किया।
  • इससे पहले जुलाई 2021 में एसोसिएशन ऑफ जियोस्पेशियल इंडस्ट्रीज़ नेभारत में जल क्षेत्र के लिए भू-स्थानिक प्रौधोगिकियों की क्षमता शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की थी।

ऊर्जा मानचित्र के बारे में:

  • इसे नीति आयोग द्वाराभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान और ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग से विकसित किया गया है।
  • यह देश के सभी ऊर्जा संसाधनों का समग्र मानचित्र प्रस्तुत करता है।
  • यह 27 विषयगत परतों (Thematic layers) के माध्यम से पारंपरिक बिजली संयंत्रों, तेल और गैस के कुओं, पेट्रोलियम रिफाइनरियों, कोयला क्षेत्रों तथा कोयला ब्लॉकों, अक्षय उर्जा बिजली संयंत्रों एवं अक्षय ऊर्जा संसाधन क्षमता पर ज़िले-वार डेटा जैसे ऊर्जा प्रतिष्ठानों के दृश्य को सक्षम बनाता है।

 भौगोलिक सूचना प्रणाली:

  • GIS पृथ्वी की सतह की स्थिति से संबंधित डेटा को कैप्चर करने, स्टोर करने, जाँचने और प्रदर्शित करने के लिये एक कंप्यूटर सिस्टम है।
  • यह एक ही मानचित्र पर कई अलग-अलग प्रकार के डेटा जैसे- सड़कें, भवन और वनस्पति को प्रदर्शित कर सकता है।
  • यह लोगों को विभिन्न डेटा पैटर्न और इनके संबंधों को अधिक आसानी से देखने, विश्लेषण करने और समझने में सक्षम बनाता है।

 महत्त्व: 

ऊर्जा स्रोतों की पहचान करने का लक्ष्य:

  • यह किसी देश में ऊर्जा उत्पादन और वितरण का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करने के लिये ऊर्जा के सभी प्राथमिक व माध्यमिक स्रोतों एवं उनके परिवहन / संचरण नेटवर्क की पहचान करने तथा उनका पता लगाने का प्रयास करता है।

डेटा का एकीकरण:

  • इसका उद्देश्य कई संगठनों के ऊर्जा डेटा को एकीकृत कर उनके डेटा को समेकित दृष्टिकोण और आकर्षक चित्रमय तरीके से प्रस्तुत करना है।

 वेब-GIS प्रौद्योगिकी में प्रगति:

  • यह वेब-GIS प्रौद्योगिकी और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर में नवीनतम प्रगति का लाभ उठाता है ताकि इसे इंटरैक्टिव और उपयोगकर्त्ता के अनुकूल बनाया जा सके।

 निवेश हेतु फैसले लेने में मददगार:

  • यह योजना बनाने और निवेश संबंधी निर्णय लेने में उपयोगी होगा।
  • यह उपलब्ध ऊर्जा परिसंपत्तियों का उपयोग करके आपदा प्रबंधन में भी सहायता करेगा।

 भू-स्थानिक मानचित्रण

  • यह एक प्रकार की स्थानिक विश्लेषण तकनीक है जो आमतौर पर भौगोलिक सूचना प्रणालियों के उपयोग सहित मानचित्रों को प्रस्तुत करने, स्थानिक डेटा को संसाधित करने और स्थलीय या भौगोलिक डेटासेट के लिये विश्लेषणात्मक तरीकों को लागू करने में सक्षम सॉफ्टवेयर को नियोजित करती है।
  • यह पारंपरिक मानचित्रण से भिन्न है, क्योंकि भू-स्थानिक मानचित्रण हमें कंप्यूटरीकृत डेटा प्रदान करता है जिसका उपयोग आवश्यकताओं के अनुसार डिज़ाइन किये गए एक सुलभ मानचित्र बनाने हेतु किया जा सकता है।

 

 

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