मवेशियों का चारा: धान की पराली

मवेशियों का चारा: धान की पराली

 

  • पंजाब सरकार ने धान की फसल के अपशिष्ट (पराली) को मवेशियों के चारे के रूप में उपयोग करने का प्रस्ताव किया है।

लाभ :

  • पंजाब में हर साल 20 मिलियन टन धान की पराली का उत्पादन होता है।
  • इसका अधिकांश भाग किसानों द्वारा खेतों में जला दिया जाता है, जिससे काफी ज्यादा वायु प्रदूषण होता है जोकि पड़ोसी राज्यों में भी फैल जाता है।
  • औसतन 200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गणना करने पर, इस पराली का कुल मूल्य लगभग 400 करोड़ रुपये होता है। और यह लगभग सारी पराली खेतों में जला दी जाती है।
  • आर्थिक नुकसान के साथ-साथ इससे उत्पादित हो सकने वाली 77,000 टन नाइट्रोजन और 6 मिलियन टन ‘सकल पचनीय पोषक तत्वों’ / ‘टोटल डाइजेस्टिबल न्यूट्रिएंट्स’ (TDN) का नुकसान होता है।
  • 20 मिलियन टन धान की पराली में पोषक तत्वों के रूप में, 10 लाख टन कच्चा प्रोटीन (crude protein – CP), 3 लाख टन पचने योग्य कच्चा प्रोटीन (digestible crude protein – DCP), 80 लाख टन सकल पचनीय योग्य पोषक तत्व (Total Digestible Nutrients – TDN) और फास्फोरस होते हैं।
  • इसलिए, सरकार के इस कदम से वर्ष 2021 की खरीफ सीजन के दौरान पराली दहन को नियंत्रित करने और पर्यावरण की रक्षा करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

चुनौतियां :

  • धान की पराली को सीधे खेतों से लाकर जानवरों को नहीं खिलाया जा सकता हैक्योंकि, इसमें सिलिका और ‘काष्‍ठ अपद्रव्यता’ (lignin) की उच्च मात्रा होने की वजह से इसके पाचन गुण कम हो जाते हैं।
  • धान की पराली में ‘सेलेनियम’ (Selenium) की मात्रा अधिक होने से भी, गेहूं के भूसे की तुलना में, पशुओं में चारे के रूप में इसका उपयोग सीमित कर दिया जाता है।
  • धान में ऑक्सलेट (2-2.5%) भी पाया जाता है, जिसकी वजह से कैल्शियम की कमी हो जाती है।

चुनौतियों से निपटने के तरीके :

  • यदि धान की पराली को मध्यम मात्रा में (प्रति पशु प्रति दिन 5 किलो तक) दिया जाए, तो सेलेनियम से पशु के स्वास्थ्य पर कोई खतरा नहीं होता है।
  • ऑक्सालेट के प्रभाव को कम करने के लिए, पराली के साथ हमेशा खनिज मिश्रण को खिलाना चाहिए।
  • अन्य विधियों में, धान की पराली का यूरिया उपचार और यूरिया प्लस शीरा उपचार भी शामिल है।
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