राजस्थान ‘विवाह पंजीकरण विधेयक’

राजस्थान ‘विवाह पंजीकरण विधेयक’

 

  • हाल ही में, राजस्थान सरकार ने काफी आलोचना किए जाने के बाद ‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन विधेयक, 2021’ (Rajasthan Compulsory Registrations of Marriage Amendment Bill, 2021) को वापस ले लिया है।
  • यह विधेयक, नाबालिगों सहित सभी विवाहों के अनिवार्य पंजीकरण संबंधी प्रावधान को लेकर विवाद में फंस गया था।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान:

  • इस विधेयक में विवाह पंजीकरण अधिकारियों की नियुक्ति और विवाह करने वालों के लिए ‘पंजीकरण’ हेतु ज्ञापन देने के कर्तव्यों से संबंधित ‘‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2009’ की धारा 5 और धारा 8 में संशोधन करने की मांग की गई थी।
  • संशोधित विधेयक में 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को अपनी शादी की जानकारी स्वयं प्रदान करने के लिए अधिकृत किया गया था।

विवादास्पद प्रावधान:

  • संशोधन विधेयक में, “ज्ञापन देने करने के कर्तव्य” से संबंधित ‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2009’ की धारा 8 में संशोधन किया गया है।
  • कानून में मूल प्रावधान के अनुसार, वर और वधू की आयु 21 वर्ष से कम होने पर 30 दिनों के भीतर विवाह का पंजीकरण कराया जाना अनिवार्य है। अधिनियम में, पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए ‘आयु संबंधी मानदंड’ एक समान थे और विवाह का पंजीकरण वर और वधू के माता-पिता द्वारा कराए जाने का प्रावधान था।
  • अधिनयम के संशोधित संस्करण में कहा गया है, कि वर और वधू की आयु क्रमशः 21 वर्ष और 18 वर्ष से कम होने पर, विवाह के 30 दिनों के भीतर इनके माता-पिता के लिए विवाह को पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा।

संशोधन किए जाने के पीछे तर्क:

  • राज्य सरकार का तर्क था, कि इस संशोधन से विवाह के लिए निर्धारित आयु ‘केंद्रीय कानून’ के अनुरूप हो जाएगी।
  • ‘केंद्रीय कानून’ में विवाह के लिए लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित है।
  • बाल विवाह का पंजीकरण किए जाने से, ऐसे विवाहों को शीघ्रता से रद्द किया जा सकेगा और सरकार को अधिक संख्या में पीड़ितों, विशेषकर विधवाओं तक पहुंचने में मदद मिलेगी।

 इस कदम के निहितार्थ:

  • यदि ‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन विधेयक’ पारित हो जाता है, तो इससे राज्य में ‘बाल विवाहों’ की संख्या में वृद्धि होगी और इस ‘सामाजिक बुराई’ को कानूनी मान्यता मिलेगी।
  • ‘बाल विवाह’ का अनिवार्य पंजीकरण, इस तरह के विवाहों को वैधता प्रदान करेगा।
  • कार्यकर्ताओं का कहना है कि, सरकारी दावों के विपरीत ‘विवाह प्रमाण पत्र’ वास्तव में विवाह को बाद में रद्द करने में बाधा बन सकता है, क्योंकि अदालतों द्वारा ‘विवाह प्रमाण पत्र का नहीं होना’, ‘विवाह’ को रद्द नहीं करने का कारण बताया जा सकता है।

पृष्ठभूमि:

  • राजस्थान में ‘बाल विवाह निषेध अधिनियम’, 2006 लागू करके ‘बाल विवाह’ पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • वर्ष 2015-16 केराष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों के अनुसार, इस क़ानून की वजह से बाल विवाह की घटनाओं में कमी देखी गयी थी।
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