वन हेल्थ

वन हेल्थ

 

  • हाल ही में, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन ‘जैव प्रौद्योगिकी विभाग’ (Department of Biotechnology – DBT) द्वारा ‘एक स्‍वास्‍थ्‍य (वन हेल्थ)’ सहायता संघ / ‘वन हेल्थ’ कंसोर्टियम (One Health’ consortium) की शुरुआत की गई है। यह DBT की पहली ‘वन हेल्थ’ परियोजना है।

परियोजना के बारे में:

  • इस कार्यक्रम में देश के पूर्वोत्‍तर भाग सहित भारत में एक नस्‍ल के दूसरी नस्‍ल को संक्रामित करने वाले जीवाणु संबंधी, वायरल और परजीवी से होने वाले महत्वपूर्ण संक्रमणों की निगरानी करने की परिकल्पना की गई है।
  • इस परियोजना में, मौजूदा नैदानिक ​​परीक्षणों का उपयोग और उभरती बीमारियों के प्रसार को समझने के लिए अतिरिक्त पद्धतियों के विकास पर भी विचार किया गया है।

संयोजन:

  • ‘वन हेल्थ कंसोर्टियम’ में डीबीटी-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी, हैदराबाद के नेतृत्व में 27 संगठन शामिल हैं।

एक स्वास्थ्य’ परिकल्पना की आवश्यकता और महत्व:

  • कोविड-19 ने संक्रामक रोगों के नियंत्रण में ‘एक स्‍वास्‍थ्‍य (वन हेल्‍थ)’ सिद्धांतों, खासतौर से पूरे विश्व में पशुजन्‍य रोगों की रोकथाम और उन्‍हें नियंत्रित करने के प्रयास की प्रासंगिकता दिखा दी।
  • भविष्य की महामारियों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए मानव, जानवरों और वन्यजीवों के स्वास्थ्य को समझने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

वन हेल्थअवधारणा क्या है?

  • वन हेल्थ इनिशिएटिव टास्क फोर्सद्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार, ‘वन हेल्थ’, मनुष्यों, जानवरों और हमारे पर्यावरण के लिए सर्वोत्कृष्ट स्वास्थ्य हासिल करने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर काम कर रही कई व्यवस्थाओं का सहयोगी प्रयास है।
  • ‘वन हेल्थ मॉडल’, रोग नियंत्रण करने हेतु बहुविषयक दृष्टिकोण को सरल बनाता है ताकि उभरते और मौजूदा जूनोटिक खतरों को नियंत्रित किया जा सके।

जूनोटिक रोग’ (Zoonotic Diseases) क्या होते हैं?

  • ‘ज़ूनोसिस’ (Zoonosis) शब्द का प्रयोग, सर्वप्रथम वर्ष 1880 में रूडोल्फ विर्को (Rudolf Virchow) द्वारा मनुष्यों और जानवरों में फैलने वाली प्रकृति में एकसमान बीमारियों को सामूहिक रूप से व्यक्त करने के लिए किया गया था।
  • वर्ष 1959 में WHO द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार, ‘ज़ूनोसिस’, कशेरुकी जानवरों और मनुष्य के बीच स्वाभाविक रूप से संचरित होने वाले रोग और संक्रमण होते हैं।
  • इन रोगों के रोगाणु, कोई बैक्टीरिया, वायरल या परजीवी अथवा कोई अन्य अपरंपरागत कारक के रूप में हो सकते हैं।

संबंधित चिंताएं:

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या होने के साथ-साथ, कई प्रमुख जूनोटिक रोगों से, पशु-आधारित खाद्य पदार्थो के पर्याप्त उप्तादन पर भी असर पड़ता है, जिससे पशु-उत्पादों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बाधा उत्पन्न होती हैं।

भारत का वन हेल्थ फ्रेमवर्क एवं योजनाएं:

  • भारत की ‘वन हेल्थ’ विज़न की रूपरेखा (Blueprint), ‘एक विश्व-एक स्वास्थ्य’ (One World-One Health) के अति महत्वपूर्ण लक्ष्य में योगदान करने हेतु, ‘त्रिपक्षीय प्लस गठबंधन’ (tripartite-plus alliance) के मध्य हुए एक समझौते से तैयार की गई है।
  • इस गठबंधन में, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), तथा संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) द्वारा समर्थित एक वैश्विक पहल संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और विश्व बैंक शामिल हैं।
  • भारत द्वारा दीर्घकालिक उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए 1980 के दशक के रूप में जूनोज़िस (Zoonoses) पर एक राष्ट्रीय स्थायी समिति की स्थापना की गई थी।
  • इसी वर्ष, नागपुर में एक ‘वन हेल्थ केंद्र’ स्थापित करने के लिये धनराशि स्वीकृत की गई है।
  • पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) द्वारा, वर्ष 2015 से पशु-रोगों की व्यापकता को समाप्त करने के लिए कई योजनाएं शुरू की जा रही हैं; जिनके लिए केंद्र तथा राज्य के मध्य 60:40, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में तथा केंद्रशासित प्रदेशों के लिए 100% वित्त पोषण किया जा रहा है।
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