‘विशेष श्रेणी राज्य’ का दर्जा

‘विशेष श्रेणी राज्य’ का दर्जा

  • हाल ही में बिहार सरकार ने ज़ोर देकर कहा है कि उसने बिहार कोविशेष श्रेणी राज्य का दर्जा (Special Category Status) देने की मांग को वापस नहीं लिया है।

 प्रमुख बिंदु 

विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा:

  • विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा उन राज्यों के विकास में सहायता के लिये केंद्र द्वारा दिया गया वर्गीकरण है, जो भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का सामना कर रहे हैं।
  • यह वर्गीकरण वर्ष 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों पर किया गया था।

यह गाडगिल फार्मूले पर आधारित था जिसमें विशेष श्रेणी के राज्य के दर्जे के लिये निम्नलिखित पैरामीटर निर्धारित किये गए थे:

  • पहाड़ी क्षेत्र।
  • कम जनसंख्या घनत्व और/या जनजातीय जनसंख्या का बड़ा हिस्सा।
  • पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं की सामरिक स्थिति।
  • आर्थिक और बुनियादी अवसंरचना का पिछड़ापन।
  • राज्य वित्त की अव्यवहार्य प्रकृति।
  • विशेष श्रेणी राज्य का दर्जापहली बार वर्ष 1969 में जम्मू-कश्मीर, असम और नगालैंड को दिया गया था। तब से लेकर अब तक आठ अन्य राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड) को यह दर्जा दिया गया है।
  • संविधान मेंकिसी राज्य को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा (SCS) देने का कोई प्रावधान नहीं है।
  • राष्ट्रीय विकास परिषदद्वारा पूर्व में योजना सहायता के लिये विशेष श्रेणी का दर्जा उन राज्यों को प्रदान किया गया था, जिन्हें विशेष रूप से ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
  • अब ऐसे राज्यों कोकेंद्र द्वारा विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा दिया जाता है।
  • 14वेंवित्त आयोग ने पूर्वोत्तर और तीन पहाड़ी राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों के लिये ‘विशेष श्रेणी का दर्जा’ समाप्त कर दिया है।
  • इसके बजाय, इसने सुझाव दिया कि प्रत्येक राज्य के संसाधन अंतर को ‘कर हस्तांतरण’ के माध्यम से भरा जाए, केंद्र से कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी को32% से बढ़ाकर 42% करने का आग्रह किया, जिसे वर्ष 2015 से लागू किया गया है।

SCS वाले राज्यों को लाभ:

  • केंद्र सरकार द्वारा विशेष श्रेणी के राज्यों के लिये केंद्र प्रायोजित योजना में आवश्यकधनराशि के 90% हिस्से का भुगतान किया जाता है, जबकि अन्य राज्यों के मामले में केंद्र सरकार केवल 60% या 75% ही भुगतान करती है।
  • खर्च न किया गया धन व्यपगत नहीं होता और उसे भविष्य में उपयोग किया जा सकता है।
  • इन राज्यों को उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क, आयकर और कॉर्पोरेट कर में महत्त्वपूर्ण रियायतें प्रदान की जाती हैं।
No Comments

Post A Comment