सरकारी उधारी

सरकारी उधारी

  • महामारी प्रभावित अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने हेतु ‘राजस्व अंतर’ को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 3 लाख करोड़ रुपये उधार लिए जाएंगे।
  • सरकार द्वारा पहली छमाही के दौरान ‘बांड’ जारी कर 02 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं।

पृष्ठभूमि:

  • सरकार, ‘दिनांकित प्रतिभूतियों’ और ‘ट्रेजरी बिलों’ के माध्यम से अपने वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए बाजार से धन जुटाती है।
  • बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था, जोकि वित्त वर्ष 2021 के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद के 5 प्रतिशत से कम है।

सरकारी उधारी’ क्या है?

  • यह उधारी, सरकार द्वारा लिया गया एक ऋण होती है, जो बजट दस्तावेज में पूंजीगत प्राप्तियों के अंतर्गत आती है।
  • सामान्यतः सरकार, सरकारी प्रतिभूतियोंऔर ट्रेजरी बिल को जारी करके बाजार से ऋण लेती है।

बढ़ी हुई सरकारी उधारी सरकार के वित्त को कैसे प्रभावित करती है?

  • सरकारकेराजकोषीयघाटेकेभारीबोझ, उसके पिछले कर्ज पर देय ब्याज के कारण होता है।
  • यदि सरकार अनुमानित राशि से अधिक ऋण लेती है, तो इसकी ब्याज लागत भी अधिक होगी, जो अंततः राजकोषीय घाटे को प्रभावित करती है और सरकार के वित्त को हानि पहुंचाती है।
  • बड़े उधारी कार्यक्रम के कारण सार्वजनिक ऋण में वृद्धि होती है और विशेष रूप से ऐसे समय में जब जीडीपी की वृद्धि दर नियंत्रित हो तो यह एक उच्च ऋण–जीडीपी अनुपात को दर्शाती है।

ऑफ-बजट ऋण’: 

  • ‘बजटेतर ऋण / ऑफ-बजट ऋण’ (Off-budget borrowing), केंद्र सरकार के निर्देश पर किसी अन्य सार्वजनिक संस्थान द्वारा लिए गए ऋण होते हैं। इस प्रकार के ऋण सीधे केंद्र सरकार द्वारा नहीं लिए जाते हैं।
  • इस प्रकार के ऋणों का उपयोग सरकार की व्यय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है।
  • चूंकि, इन ऋणों की देयता जिम्मेवारी औपचारिक रूप से केंद्र पर नहीं होती है, इसलिए इन्हें राष्ट्रीय राजकोषीय घाटे में शामिल नहीं किया जाता है।
  • इससे देश के राजकोषीय घाटे को एक स्वीकार्य सीमा के भीतर सीमित रखने में सहायता मिलती है।

 

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