सिकाडा की नई प्रजाति की खोज : नगालैंड

सिकाडा की नई प्रजाति की खोज : नगालैंड

 

  • हाल ही में नगालैंड के नगा पहाड़ियों में एक नई सिकाडा प्रजाति (प्लैटोमिया कोहिमेन्सिस) पाई गई थी।
  • इससे पहले मेघालय में सिकाडस सवाज़ाना मिराबिलिस और सल्वाज़ाना इम्पेरालिस की दो प्रजातियों की खोज की गई थी।

 नई सिकाडा प्रजाति के बारे में:

  • सिकाडा हेमीप्टेरान कीड़े हैं जो अपने ज़ोरदार, जटिल और प्रजाति-विशिष्ट ध्वनिक संकेतों या आवाज़ों के लिये जाने जाते हैं।
  • हेमिप्टेरान कीड़े, जिन्हें वास्तविक बग भी कहा जाता है, ये अपने माउथपार्ट का उपयोग भोजन खाने के लिये करते हैं।
  • नई सिकाडा प्रजाति पूर्वी हिमालय में नगा पहाड़ियों से वर्णित प्लैटिलोमिया राधा समूह से संबंधित है।
  • यह नियमित और समयबद्ध रूप से शाम के समय आवाज़ करते हैं।
  • टिम्बल विभिन्न कीड़ों में ध्वनि उत्पन्न करने वाली झिल्ली है।

 सिकाडा का महत्त्व:

  • वे पेड़ो के लिये अधिक फायदेमंद होते हैं। इनके द्वारा मिट्टी में वायु रंध्रों का निर्माण कर वायु का संचालन किया जाता है और एक बार जब वे मर जाते हैं, तो उनका शरीर बढ़ते पेड़ों के लिये नाइट्रोजन के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में काम करता है।
  • अपने ध्वनिक तरीकों के साथ वे एक स्वस्थ वन पारिस्थितिकी तंत्र के संकेतक के रूप में कार्य करते हैं।

 प्राकृतिक वास:

  • अधिकांश सिकाडा कैनोपी के आसपास रहते हैं और बड़े पेड़ों वाले प्राकृतिक जंगलों में पाए जाते हैं।
  • भारत और बांग्लादेश में सिकाडा की सामान्य विविधता दुनिया में सबसे अधिक है, इसके बाद चीन का स्थान है।

 खतरा:

  • सिकाडा की घटती आबादी का कारण बड़े पैमाने पर प्राकृतिक वन भूमि को मानव बस्तियों और कृषि क्षेत्रों के रूप में उपयोग में लाने के साथ-साथ जंगलों को जलाना है।
  • चूँकि इसे एक स्वादिष्ट व्यंजन माना जाता है और इसकी अच्छी कीमत मिलती है, जिसके कारण इनके अस्तित्त्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
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