22वें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार: डॉ. रणदीप गुलेरिया

22वें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार: डॉ. रणदीप गुलेरिया

 

  • डॉ. गुलेरिया को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू द्वारा इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है|
  • उपराष्ट्रपति ने उन्हें भारत के अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं की समर्पित सेना का “कमांडर-इन-चीफ” कहा है, जो निस्वार्थ रूप से COVID-19 के खिलाफ एक अथक लड़ाई लड़ रहे हैं|
  • AIIMS, दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया को चिकित्सा और महामारी जागरूकता के क्षेत्र में उनके अग्रणी और निरंतर योगदान के लिए 22वें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है|

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार

  • लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार ऐसा चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है जो देश या विदेश में रहने वाले किसी प्रतिष्ठित भारतीय को उच्च पेशेवर अनुक्रम और लोक प्रशासन, सार्वजनिक मामले, प्रबंधन, कला और संस्कृति, शिक्षा या संस्था-निर्माण और खेल के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए उसके व्यक्तिगत योगदान और उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए दिया जाता है|
  • इस पुरस्कार में 05 लाख रुपये का नकद इनाम, एक प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका शामिल है|
  • यह सम्मान प्राप्त करने के बाद, डॉ. गुलेरिया ने यह कहा कि, COVID-19 महामारी को प्रत्येक राज्य की अनूठी स्थिति को ध्यान में रखते हुए, बहुत अधिक परिचालन प्रबंधन की आवश्यकता है|
  • उन्होंने यह भी कहा कि AIIMS, नई दिल्ली COVID-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे था और इसने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ राष्ट्रीय परीक्षण और उपचार दिशानिर्देश बनाने में मदद की|
  • उन्होंने आगे यह भी कहा कि, उन्होंने जमीनी हालात को समझने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों के 550 अस्पतालों से बातचीत की थी|
  • उन्होंने यह भी कहा कि, “यह एक विनम्र अनुभव था और अचानक आने वाली चुनौतियों को जानने के बाद, मुझे चिकित्सा बिरादरी पर विशेष रूप से गर्व महसूस हुआ|”

लाल बहादुर शास्त्री के बारे में

  • लाल बहादुर शास्त्री ने 09 जून, 1964 से 11 जनवरी, 1966 तक भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के तौर पर कार्य किया था.
  • भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी इस छोटी-सी अवधि के दौरान, उन्होंने कुछ असाधारण साहसिक निर्णय लिए और अन्य देशों से खाद्य आपूर्ति आयात करने के बजाय आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया.
  • उन्होंने अमूल दुग्ध सहकारिता का समर्थन करके और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड बनाकर – श्वेत क्रांति, दूध उत्पादन और आपूर्ति बढ़ाने के राष्ट्रीय अभियान को बढ़ावा दिया था.
  • उन्होंने भारत के खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष, 1965 में भारत में हरित क्रांति को भी बढ़ावा दिया था.
No Comments

Post A Comment