‘CRISP-M’ टूल

‘CRISP-M’ टूल

 

  • हाल ही में ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना’ (MGNREGS) हेतु ‘जलवायु लचीलापन सूचना प्रणाली और नियोजन’ (CRISP-M) टूल लॉन्च किया गया है।

‘CRISP-M’ टूल

  • यह मनरेगा के ‘भौगोलिक सूचना प्रणाली’ (GSI) आधारित कार्यान्वयन में जलवायु सूचना को भी शामिल करने में मदद करेगा।
  • जीआईएस एक कंप्यूटर सिस्टम है, जो भौगोलिक रूप से संदर्भित जानकारी का विश्लेषण और प्रदर्शन करता है।
  • ‘CRISP-M’ टूल के कार्यान्वयन से ग्रामीण समुदायों के लिये जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने हेतु नई संभावनाएँ खुल जाएंगी।
  • इस टूल का इस्तेमाल सात राज्यों- बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और राजस्थान में किया जाएगा।

 मनरेगा योजना 

  • यह दुनिया के सबसे बड़े रोज़गार गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
  • इसे 2 फरवरी, 2006 को लॉन्च किया गया था।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम 23 अगस्त, 2005 को पारित किया गया था।

 उद्देश्य

  • सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों की रोज़गार गारंटी प्रदान करना।

 काम करने का कानूनी अधिकार:

  • पूर्ववर्ती रोज़गार गारंटी योजनाओं के विपरीत इस अधिनियम का उद्देश्य अधिकार- आधारित ढाँचे के माध्यम से गरीबी के कारणों को संबोधित करना है।
  • लाभार्थियों में कम-से-कम एक-तिहाई महिलाएँ होनी चाहिये।
  • न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 (अब मज़दूरी संहिता, 2019 के तहत सम्मिलित) के तहत राज्य में कृषि मज़दूरों के लिये निर्दिष्ट वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी के अनुसार मज़दूरी का भुगतान किया जाना चाहिये।

 मांग-संचालित योजना:

  • मनरेगा के डिज़ाइन का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा किसी भी ग्रामीण वयस्क को काम की मांग किये जाने के 15 दिनों के भीतर काम पाने के लिये कानूनी रूप से समर्थित गारंटी है, जिसमें विफल होने पर ‘बेरोज़गारी भत्ता’ दिये जाने का प्रावधान है।
  • यह मांग-संचालित योजना श्रमिकों के स्व-चयन को सक्षम बनाती है।

 विकेंद्रीकृत नियोजन:

  • इन कार्यों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने में पंचायती राज संस्थाओं (PSI) को महत्त्वपूर्ण भूमिका देकर विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
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